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सामाजिक न्याय

1 Solved Question with Answers
  • 2024

    लोक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्र में भारतीय राज्य को उस व्यवस्था के बाज़ारीकरण के दुष्प्रभावों को रोकने के लिये व्यापक भूमिका निभानी चाहिये। कुछ ऐसे उपाय सुझाइये जिनके माध्यम से राज्य लोक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली की पहुँच का विस्तार तृणमूल स्तर तक कर सके। (उत्तर 250 शब्दों में दीजिये)

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भारत के स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र की वर्तमान स्थिति और मूल्यांकन के साथ शुरुआत कीजिये तथा बाज़ारीकरण की चिंताओं पर प्रकाश डालिये।
    • लोक स्वास्थ्य तक पहुँच विस्तार के लिये विनियमन, सेवाओं के प्रावधान और समुदाय-केंद्रित पहलों के माध्यम से बाज़ारीकरण को संबोधित करने में राज्य की भूमिका पर चर्चा कीजिये।
    •  राज्य द्वारा स्वास्थ्य के अधिकार को कायम रखने तथा बाज़ार के दबावों के मद्देनज़र न्यायसंगत पहुँच सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दीजिये।

    परिचय:

    भारत का स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र वर्ष 2023 में 372 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया, जिसमें निजी क्षेत्र माध्यमिक और तृतीयक देखभाल (मेट्रो, टियर-I और टियर-II शहरों में प्रमुख एकाग्रता) क्षेत्र पर हावी है। बाज़ारीकरण के विस्तार से स्वास्थ्य को एक वस्तु के रूप में देखने, रोगी कल्याण पर मुनाफे को प्राथमिकता देने, संभावित रूप से देखभाल की गुणवत्ता से समझौता करने और स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच की असमानताओं को बढ़ाने से चिंता बढ़ जाती है।

    मुख्य भाग: 

    स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के बाज़ारीकरण के दुष्प्रभावों को रोकने में राज्य की भूमिका:

    • स्वास्थ्य का अधिकार: संविधान के अनुच्छेद 21 में स्वास्थ्य का अधिकार शामिल है, जिसके तहत राज्य से यह अपेक्षा की जाती है कि वह बाज़ारीकरण के दबावों के बीच इस अधिकार की रक्षा करेगा, जिससे असमानता और देखभाल में कमी हो सकती है।
    • राज्य एक परोपकारी के रूप में: यह सुनिश्चित करता है कि सार्वजनिक अस्पतालों और केंद्रीय सरकार स्वास्थ्य योजना (CGHS) जैसी सब्सिडी युक्त देखभाल योजनाओं के माध्यम से सभी को, विशेष रूप से कमज़ोर समूहों को, स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध हों। 
      • गुणवत्ता मानकों और रोगी को ठीक करने के उपायों को स्थापित करना, गरिमा तथा अधिकारों को बनाए रखना।
    • विनियामक के रूप में राज्य: भारतीय चिकित्सा परिषद (व्यावसायिक आचरण, शिष्टाचार और नैतिकता) विनियम, 2002 के माध्यम से राज्य लाभ-संचालित देखभाल के ह्रास को रोकने और नागरिकों की सुरक्षा के लिये मानदंड निर्धारित करता है।
    • राज्य एक सुविधाकर्त्ता के रूप में: वंचित क्षेत्रों में देखभाल प्रदायगी के विस्तार के लिये PPP को सुविधाजनक बनाना। यह समतामूलक स्वास्थ्य देखभाल के वित्तपोषण के लिये धन एकत्रित करता है।

    तृणमूल स्तर पर लोक स्वास्थ्य देखभाल तक पहुँच विस्तार हेतु उपाय:

    • राज्य को सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्त्ताओं (आशा, ANM) को प्रशिक्षित करना चाहिये ताकि वे स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली और समुदाय के बीच सेतु के रूप में कार्य कर सकें, स्वास्थ्य शिक्षा तथा रोग का शीघ्र पता लगाने में सहायता कर सकें। 
    • निवारक, प्रोत्साहक और उपचारात्मक देखभाल समेत व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएँ सुनिश्चित करने के लिये आयुष्मान भारत स्वास्थ्य तथा कल्याण केंद्रों के संचालन का विस्तार करना।
      • स्थानीय स्वास्थ्य प्रणालियों को सुदृढ़ करने और समुदाय-विशिष्ट स्वास्थ्य पहलों को बढ़ाने के लिये 15वें वित्त आयोग के अनुदान का उपयोग करना।
    • कम टीकाकरण कवरेज वाले क्षेत्रों, विशेष रूप से आदिवासी और दुर्गम क्षेत्रों में प्रभावी रोकथाम सुनिश्चित करने के लिये प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महाअभियान जैसी पहलों को लागू करना।
    • इसके अतिरिक्त, आकांक्षी ज़िलों में नवीन मेडिकल कॉलेजों की स्थापना, डेटा-संचालित निर्णयों के लिये ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी का उपयोग करना और टेलीहेल्थ सेवाओं को एकीकृत करना स्वास्थ्य सेवा की पहुँच तथा प्रभावशीलता को और बढ़ाएगा।

    निष्कर्ष: 

    राज्य को प्रतिस्पर्द्धा बढ़ाने और किफायती, उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने, रोगी कल्याण को प्राथमिकता देने तथा कमज़ोर आबादी हेतु पहुँच में सुधार करने के लिये बाज़ारीकरण का उपयोग करना चाहिये।

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